-पुस्तक श्री रामगीता
-लेखक श्री .....
-प्रकाशक श्री गीता प्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 64
-मूल्य 5/-
जब लक्ष्मणजी अयोध्या से माता सीता को वाल्मिकी आश्रम के वन में छोड़कर आते हैं तो वे बहुत दुखी रहते हैं। तब श्रीराम जी उन्हें सांत्वना देते हैं। श्रीराम के इन्हीं प्रवचनों को राम गीता कहा गया।
श्रीमद्भागवत गीता की तरह ही बहुतसी 'श्रीराम गीताओं' का उल्लेख मिलता
है। इन गीताओं में वेदान्त के आधार पर श्रीराम के परमब्रह्म स्वरूप का
प्रतिपादन किया गया है।
इस श्रीरामगीता को गुरु ज्ञानवासिष्ठ तत्वसारायण का भाग माना जाता है।
गीता की तरह इसमें भी 18 अध्याय हैं जो श्री राम-हनुमान संवाद के रूप में
प्रस्तुत किए गए हैं।
No comments:
Post a Comment