22 Oct 2021

व्यापार सुधार की अवश्यकता और हमारा कर्तव्य

 

 


-पुस्तक                व्यापार सुधार की अवश्यकता और हमारा कर्तव्य

-लेखक                श्री जयदयाल गोयंदका जी

-प्रकाशक            श्री गीता प्रेस गोरखपुर

-पृष्ठसंख्या             62

-मूल्य                     4/-
 
 
 

हम व्यावसायिक वातावरण में रहते हैं। य समाज का एक अनिवार्य अंग है। यह व्यावसायिक क्रियाओं के विस्तृत नेटवर्क के माध्यम से विभिन्न प्रकार की वस्तुएं तथा सेवाएं उपलब्ध कराकर हमारी आश्यकताओं की पूर्ति करता है।

अन्य शब्दों में - व्यवसाय एक ऐसा है जिसमें अर्थोपार्जन के बदले वस्तुओं अथवा सेवाओं का उत्पादन, विक्रय और विनिमय होता है एवं या कार्य नियमित रूप से किया जाता है। "व्यवसाय में वे संपूर्ण मानवीय क्रियाएं आ जाती हैं, जो वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन एवं वितरण के लिए की जाती है, जिनका उद्देश्य अपनी सेवाओं द्वारा समाज की आवश्यकताओं की पूर्ति करके लाभ अर्जन करना होता है।

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