-पुस्तक मधुर
-लेखक श्री हनुमानप्रसाद पोदार जी
-प्रकाशक गीताप्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 302
-मूल्य 30/-
नित्यलीलालीन (भाईजी श्री हनुमानप्रसाद जी पोद्दार द्वारा प्रणीत यह अनुपम
ग्रन्थ-रत्न है। इसमें श्री राधाकृष्ण का अलौकिक प्रेम में प्रस्फुटित है। भक्ति और शास्त्रीय चिन्तन
के अद्भुत समन्वय के साथ यह ग्रन्थ-रत्न झाँकियों में विभक्त है।
श्रीराधा, श्रीकृष्ण, श्रीराधामाधव, भावराज्य-लीला-रहस्य, प्रेम-तत्त्व,
गोपाङ्गना और प्रकीर्ण-ये
भगवत्-तत्त्वका सरस, हृदयग्राही प्रतिपादन करते हैं। यह ग्रन्थ साधकों,
श्रद्धालुओं, व्रज-रस-रसिकों के लिये नित्य स्वाध्याय एवं संग्रहका विषय
है।
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