-पुस्तक बृज भाव
-लेखक श्री हनुमानप्रसादजी पोद्दार
-प्रकाशक गीताप्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 150
-मूल्य 30/-
श्री भाईजी जैसी विभूतियाँ युगों-युगों में इस धरा पर आती है| उनकी स्थिति
अनिर्वचनीय है| ऐसे अप्रतिम संत के मुखारविंद से नि:सृत वाणी को पुस्तकाकार
रूप में करने के लिए श्रद्धालु साधकों और प्रेमीजनों का बहुत वर्षों से
निरंतर आग्रह था| आपके सामने यह पुस्तक प्रतुत है|
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