-पुस्तक मनुष्य जीवन की सफलता
-लेखक श्री जयदयाल गोयन्दका जी
-प्रकाशक गीताप्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 144
-मूल्य 15/-
यह पुस्तक जीवनमुक्त मनीषी ब्रह्मलीन श्रीजयदयालजी गोयन्दकाद्वारा प्रवचनके रूपमें प्रस्तुत अनेक लौकिक तथा पारलौकिक विषयोंपर सरल और सुबोध भाषामें शास्त्रानुभूत विचारोंका दुर्लभ संकलन है।
मनुष्य को स्वाभाविक ज्ञान तो परमात्मा से प्राप्त है परन्तु उसे विशेष ज्ञान प्राप्त करने के लिये माता-पिता, आचार्य, शास्त्र आदि की आवश्यकता पड़ती है। मनुष्य जीवन में धर्म का ज्ञान व उसका पालन आवश्यक है। धर्म उसे कहते हैं जिसके ज्ञान व पालन से मनुष्य का सांसारिक जीवन तथा परलोक दोनों उन्नत व सफलता को प्राप्त होते हैं।
मनुष्य आनंदलोक का वासी है और आनंद के परमधाम तक पहुंचना ही उसके जीवन का एकमात्र लक्ष्य है, इसलिए मनुष्य को इस संसार की मृग मरीचिका से निकलकर भव्य जीवन की प्राप्ति के लिए साधना के मार्ग को अपनाकर अपने गंतव्य को पहचानना चाहिए और उसी में लीन होने के लिए साधनारत रहने का संकल्प लेना चाहिए।
No comments:
Post a Comment