-पुस्तक भगवान के स्वभाव का रहस्य
-लेखक श्री जयदयाल गोयन्दका जी
-प्रकाशक गीताप्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 190
-मूल्य 20/-
एकाग्रता ही सभी प्रकार के ज्ञान की नींव है, इसके बिना कुछ भी करना सम्भव नहीं है। ज्ञानार्जन के लिए किस प्रकार मन को एकाग्र करना चाहिए इसका दिग्दर्शन इस पुस्तिका में किया गया है। एकाग्र मन एक सर्च लाइट के समान है। सर्चलाइट हमें दूर तथा अँधेरे कोनों में पड़ी वस्तुओं को भी देखने में समर्थ बनाता है
ज्ञानार्जन के लिए ससााधदककों को किस प्रकार मन को एकाग्र करना चाहिए इसका दिग्दर्शन इस पुस्तिका में किया है। हमें विश्वास है कि, प्रस्तुत पुस्तिका में दिये गये मार्गदर्शन का हर साधक अनुसरण करेगा, तो निश्चित रूप से वह मन की एकाग्रता बढ़ाने में सफल होगा।
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