-पुस्तक साधक संजीवनी (खण्ड-8)
-लेखक श्री रामसुखदास जी
-प्रकाशक गीताप्रकासन गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 200
-मूल्य /-
स्वामी श्री रामसुखदास जी महाराज ने गीतोक्त जीवन की प्रयोगशाला से
दीर्घकालीन अनुसंधान द्वारा अनन्त रत्नों का प्रकाश इस टीका में उतार कर
लोक-कल्याणार्थ प्रस्तुत किया है, जिससे आत्मकल्याणकामी साधक साधना के
चरमोत्कर्ष को आसानी से प्राप्त कर आत्मलाभ कर सकें। इस टीका में स्वामी जी
की व्याख्या विद्वत्ता-प्रदर्शन की न होकर सहज करुणा से साधकों की
कल्याणकामी है। विविध आकार-प्रकार, भाषा, आकर्षक साज-सज्जा में उपलब्ध यह
टीका सद्गुरू की तरह सच्ची मार्गदर्शिका है।
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