-पुस्तक ज्योतिषतत्वाङ्क कल्याण
-लेखक हनुमानप्रसाद पोदार जी
-प्रकाशक गीताप्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 506
-मूल्य 150/-
जीवन में भगत्प्रेम, सेवा, त्याग, वैराग्य, सत्य, अहिंसा, विनय, प्रेम, उदारता, दानशीलता, दया, धर्म, नीति, सदाचार और शान्ति का प्रकाश भर देने वाली सरल, सुरुचिपूर्ण, सत्प्रेरणादायी छोटी-छोटी सत्कथाओं का संकलन कल्याण का यह विशेषांक सर्वदा अपने पास रखने योग्य है।
भगवत्कृपा से कल्याण का प्रकाशन ईस्वी सन 1926 से लगातार हो रहा है। इस पत्रिका के आद्य संपादक नित्यलीलालीन भाईजी श्री हनुमान प्रसाद जी पोद्दार थे। कल्याण के प्रथम अंक में प्रकाशित संपादकीय वक्तव्य पठन सामग्री में उधृत है।
ज्योतिष एक विज्ञान भी है और एक कला भी। विज्ञान इसलिये, क्योकि ग्रहों की
स्थितियों का निर्धारण और उनकी दशाओं का आकलन एक वैज्ञानिक एवं गणितीय
प्रक्रिया पर आधारित है। कला इसलिये, क्योकि ज्योतिषी के पास फलित करने की
बहुत सी विधियाँ उपलब्ध होती है और वह स्थान, परिस्थिति और अपने ज्ञान के
अनुसार विशेष विधि का उपयोग करके फलित कर सकता है। ज्योतिष सीखने की इच्छा
अधिकतर लोगों में होती है लेकिन उनके सामने समस्या यह होती है कि ज्योतिष
की शुरूआत कहाँ से की जाये। आमतोर पर ज्योतिष सीखने का इच्छुक व्यक्ति
बाजार से कोई पुस्तक खरीद कर ले आता है और पढ़ना आरम्भ कर देता है। लेकिन
ज्यादातर इन पुस्तकों में ज्योतिष की शुरुआत कुण्डली-निर्माण और गणित से
होती है और ज्योतिष सीखने का इच्छुक व्यक्ति कुण्डली-निर्माण के गणित से ही
घबरा जाता हैं और उसका ज्योतिष सीखने का जोश ठण्डा पड़ जाता है। इस पुस्तक
में यह बताने का प्रयास किया गया है कि अगर आप ज्योतिष सीखना चाहते है तो
बिना गणितीय गणनाओ के भी आप कुछ बुनियादी बातों पर ध्यान देकर ज्योतिष की
गहराइयों में उतर सकते है।
पुस्तक मे संयोजित मुख्य बिन्दु -
ज्योतिष
सीखने के मुख्य तत्व, राशियाँ, भाव, ग्रह, ग्रह दशा, ज्योतिष की आवश्यक
शब्दावली, ग्रहों की अवस्था, शुभ और अशुभ ग्रह, जन्म राशि, योगकारक ग्रह,
राशियों का परिचय, उनके नेसर्गिक गुण तथा उनके कारकत्व, भावो का परिचय और
उनका कारकत्व, भाव के कारक ग्रह, ग्रहों का परिचय और उनका कारकत्व,
शक्तिशाली या बलवान ग्रह, निर्बल या कमजोर ग्रह, ग्रहो का शुभाशुभ प्रभाव,
ग्रहो का लिंग, लग्न विचार, नक्षत्र विचार, नक्षत्रो के आधार पर सामान्य
उपाय विचार, अस्त ग्रहों का फल, दशाफल, दशाफल सूत्र, गोचर विचार, अष्टकवर्ग
सिद्धान्त, जन्मकुण्डली देखने के नियम और युक्तियाँ, भाव सम्बन्धी फल कथन,
ग्रह सम्बन्धी फल कथन, योगकारक ग्रह, राजयोग, धनयोग, दरिद्र योग, हर्ष
योग, सरल योग, विमल योग, ऋण योग, कारक योग, सुनफा योग, अनफा योग,
दुरुधरा योग, केमद्रुम योग
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