-पुस्तक साधन और साध्य
-लेखक स्वामी रामसुखदास जी
-प्रकाशक गीताप्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 94
-मूल्य 10/-
साध्य लक्ष्य या उद्देश्य को कहते हैं। साधन वह है जिसकी सहायता से साध्य या लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
साधनों की सार्थकता साध्य के संदर्भ में ही तो हुआ करती है। परमात्मा के अस्तित्व की स्वीकृति और उसके अनुभव को ही उन्होंने भक्ति और उपासना तथा जीवन का अंतिम उद्देश्य माना।
प्रत्येक पुराण में ओउम् को तत्संबंधित देवी-देवता का प्रत्यक्ष और सूक्ष्म
रूप बताया गया है। ऋषि तो यहां तक कहते हैं कि प्रणव अक्षर में तीनों वेद
समाहित हैं।
अपने विषय की यह एक अनूठी पुस्तक है। ऐसी विवेकप्रधान साधन की पुस्तक है।
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