-पुस्तक गीता-प्रबोधनी
-लेखक स्वामी रामसुख दासजी
-प्रकाशक गीताप्रस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 442
-मूल्य 65/-
श्रीमद्भगवद्गीता वर्तमान में धर्म से ज्यादा जीवन के प्रति अपने दार्शनिक
दृष्टिकोण को लेकर भारत में ही नहीं विदेशों में भी लोगों का ध्यान अपनी और
आकर्षित कर रही है। निष्काम कर्म का गीता का संदेश प्रबंधन गुरुओं को भी
लुभा रहा है। विश्व के सभी धर्मों की सबसे प्रसिद्ध पुस्तकों में शामिल है।
गीताप्रेस गोरखपुर जैसी धार्मिक साहित्य की पुस्तकों को काफी कम मूल्य पर उपलब्ध
कराने वाले प्रकाशन ने भी कई आकार में अर्थ और भाष्य के साथ
श्रीमद्भगवद्गीता के प्रकाशन द्वारा इसे आम जनता तक पहुंचाने में काफी
योगदान दिया है।
श्रीमद्भगवद्गीता भगवान श्रीकृष्ण का मानव जीवनोपयोगी दिव्य उपदेश है। इस संस्करण में स्वामी श्री रामसुखदास जी द्वारा गीता की सरल भाषा में टीका की गयी है। संस्कृत न जानने वाले व्यक्तियों के लिये यह पुस्तक बहुत उपयोगी है।
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